Deva
कहानी एक कुशल लेकिन विद्रोही पुलिस अधिकारी की है, जिसका नाम अर्जुन रावत (मुख्य भूमिका में) है। अर्जुन एक बेहतरीन पुलिस ऑफिसर है, जो अपने काम में माहिर होने के साथ-साथ कभी-कभी सिस्टम के खिलाफ खड़ा हो जाता है। उसकी यही विद्रोही प्रवृत्तियाँ उसे कई बार अपने उच्च अधिकारियों और साथियों से टकराव में डाल देती हैं। उसे सच्चाई की खोज का जुनून है, और यह जुनून उसे एक बड़े और खतरनाक मामले की जांच करने के लिए प्रेरित करता है।
कहानी की शुरुआत एक गंभीर हत्याकांड से होती है। एक प्रसिद्ध व्यापारी, विक्रम मल्होत्रा, जिसकी आर्थिक और राजनीतिक साख बहुत मजबूत थी, की हत्या हो जाती है। पुलिस इस केस को एक साधारण हत्या मानकर जांच शुरू करती है, लेकिन जैसे-जैसे अर्जुन मामले की गहराई में जाता है, वह पाता है कि यह केवल एक हत्या नहीं, बल्कि एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है।
अर्जुन की जांच उसे कई संदिग्धों के पास ले जाती है—विक्रम के परिवार के सदस्य, उसके व्यापारिक साझेदार और यहां तक कि पुलिस विभाग के कुछ बड़े अधिकारी। जांच के दौरान अर्जुन को यह एहसास होता है कि हर व्यक्ति जो उस पर भरोसा करता है, वह खुद को बचाने के लिए उसे झूठ बोल रहा है और उसकी राह में रुकावटें डाल रहा है। अर्जुन को यह समझ में आता है कि यह मामला केवल एक व्यापारी की हत्या तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें राजनीतिक और भ्रष्टाचार का भी हाथ है।
जैसे-जैसे
अर्जुन इस केस में और गहरे उतरता है, वह पाता है कि उसके अपने साथी
पुलिस अधिकारी, जिन पर उसने हमेशा भरोसा किया था, भी इस साजिश में शामिल हो सकते हैं। एक विशेष पुलिस अधिकारी कमल सिंह, जो अर्जुन का पुराना मित्र है, धीरे-धीरे एक संदिग्ध
रूप में सामने आता है। अर्जुन को शक होने लगता है कि कमल और कुछ अन्य उच्च अधिकारी
मिलकर इस साजिश में शामिल हैं, ताकि वे अपनी अपनी व्यक्तिगत
हितों को पूरा कर सकें।
अर्जुन का विश्वास उन पर से उठने लगता है, और वह अपने आदर्शों के लिए अकेले लड़ने का निर्णय लेता है।
अर्जुन
को अब यह तय करना है कि वह अपने उच्च अधिकारियों और पुराने दोस्तों के खिलाफ जाकर
सच्चाई का खुलासा करेगा या फिर अपनी जान को जोखिम में डालने से बच जाएगा। अंत में, वह
सच्चाई की ओर बढ़ता है, और अपने सहयोगी पुलिस अधिकारियों और
एक बड़े अपराधी गैंग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करता है।
अर्जुन का संघर्ष न केवल सच्चाई के लिए होता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि सिस्टम में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का पर्दाफाश करने के लिए किसी व्यक्ति को कितना बलिदान देना पड़ता है।
अर्जुन
की यह यात्रा उसे न केवल एक बड़े अपराधी का पर्दाफाश करने में मदद करती है, बल्कि
उसे यह भी सिखाती है कि सच्चाई और ईमानदारी से बड़ा कोई बल नहीं होता। हालांकि वह
केस जीतता है, लेकिन उसे यह महसूस होता है कि उसकी लड़ाई
पूरी नहीं हुई। सिस्टम के भीतर के भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए उसे और भी अधिक
संघर्ष करना होगा, और वह इस संघर्ष को जारी रखने का संकल्प
करता है।
"धोखे की परतें" एक सस्पेंस
थ्रिलर फिल्म है, जो यह दर्शाती है कि
कभी-कभी हमारे सबसे करीबी रिश्ते भी धोखे और विश्वासघात में बदल सकते हैं, और सच्चाई की खोज में एक पुलिस अधिकारी को कितना कुछ खोना पड़ता है।
रिलीज़ डेट: 31 जनवरी 2025
(भारत)
निर्देशक: रोशन आंद्रेयूज़
निर्माता: सिद्धार्थ रॉय कपूर, शारिक पटेल, उमेश बंसल
वितरक: Zee Studios
आधारित: मुंबई पुलिस; बॉबी–संजय द्वारा
बॉक्स ऑफिस कलेक्शन: ₹18.10 करोड़
OTT रिलीज़: हिंदी में
"धोखे की परतें" एक दिलचस्प थ्रिलर
फिल्म है, जिसमें एक विद्रोही पुलिस अधिकारी की कहानी है जो
एक बड़े मामले की जांच करते हुए झूठ और विश्वासघात की परतों को उजागर करता है।
अर्जुन रावत नामक इस अधिकारी को जैसे ही पता चलता है कि हत्या सिर्फ एक साधारण
मामला नहीं है, वह खुद को एक विशाल साजिश में फंसा हुआ पाता
है। फिल्म में अर्जुन की संघर्षपूर्ण यात्रा और उसकी सच्चाई की खोज को दिखाया गया
है, जिसमें वह अपने आदर्शों और अपने विभाग के भ्रष्टाचार से
टकराता है।
इस फिल्म ने ₹18.10 करोड़ का बॉक्स
ऑफिस कलेक्शन किया है और इसके बाद यह OTT प्लेटफार्म
पर हिंदी में रिलीज़ होने वाली है, ताकि और भी दर्शक इसे देख सकें।
"धोखे की परतें" दर्शकों को न केवल एक थ्रिलिंग कहानी देती है, बल्कि यह यह भी दिखाती है कि एक पुलिस अधिकारी को सच्चाई की खोज में कितनी मुश्किलें और धोखेबाजों का सामना करना पड़ता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें